Wednesday, March 7, 2012

भगोरिया ..एक प्रेम उत्सव... !!



बसंत ऋतु की मदमाती बयार, लेकर आती है फागुनी फुहार और अनेक उत्सव...!!
भगोरिया नाम है उत्सव का, जो भारत के सर्वप्रसिद्ध आदिवासी त्योहारों में गिना जाता है...यह होली का ही एक रूप है, और मध्य प्रदेश के मालवा अंचल (धार, झाबुआ, खरगोन आदि ) के आदिवासी बहुल इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है...इस त्यौहार का एक अति विशेष महत्त्व है...युवा और अविवाहित लड़के-लड़कियों के लिए, अपना जीवन साथी चुनने का यह एक आदर्श अवसर है...इस अवसर पर, धार, झाबुआ, खरगोन आदि आदिवासी बहुल क्षेत्रों के हाट-बाजार, मेले का रूप ले लेते हैं,  वहाँ की हवाओं में, हर तरफ फागुन का रंग बिखर जाता है और हर चेहरे पर प्रीत का रंग नज़र आता है....

जैसा मैंने पहले बताया..भगोरिया में हाट-बाज़ार, मेले का रूप ले लेते हैं, इन मेलों में अविवाहित युवक-युवतियाँ, खूब सजधज कर अपने भावी जीवनसाथी को ढूँढने आते हैं...इनमें आपसी रजामंदी ज़ाहिर करने का तरीका भी, बेहद निराला होता है, सबसे पहले लड़का, अपनी पसंद की लड़की को 'पान' खाने के लिए देता है, यदि लड़की पान खा ले तो 'हाँ' समझी जाती है, इसके बाद लड़का, लड़की को लेकर 'भगोरिया हाट' से भाग जाता है और दोनों विवाह सूत्र में बांध जाते हैं, इसी तरह यदि लड़का, लड़की के गाल पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी लड़के के गाल पर, गुलाबी रंग मल दे तो भी रिश्ता तय माना जाता है...

इन हाटों का प्रभाव गाँव की किशोरियों के द्वारा धारण किये गए, परिधानों से और अधिक बढ़ जाता है...उनके परिधानों से उनके गाँव की पहचान करना बहुत आसान होता है..उनके परिधानों के विशेष पैटर्न, कई बार नामी-गिरामी फैशन डिजाइनरों के परिधानों को भी मात दे देते हैं..यह एक बहुत बड़ा कारण है कि इन मेलों में जाने-माने फैशन डिजाईनर, इन जनजातीय पैटर्नों से नयी प्रेरणाएं और नए डिजाईनों की नूतन परिकल्पनाएं लेने आते हैं...जिससे भगोरिया मेलों का महत्त्व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ गया है...

भगोरिया पर लिखी कुछ किताबों के अनुसार भगोरिया राजा भोज के समय लगने वाले हाटों को कहा जाता था, इस समय दो भील राजाओं 'कासूमार' औऱ 'बालून' ने अपनी राजधानी, भागोर में विशाल मेले औऱ हाट का आयोजन करना शुरू किया, धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहना शुरू हुआ, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों का मानना है क्योंकि इन मेलों में युवक-युवतियाँ अपनी मर्जी से भागकर शादी करते हैं इसलिए इसे भगोरिया कहा जाता है...

***इस पोस्ट में कुछ जानकारियाँ विकिपीडिया से ली गयीं हैं...