Friday, February 10, 2012

'अभिन्न मित्र'...????


पिछले एपिसोड के लिए नीचे दिए गए लिंक पर  क्लिक करें...
http://swapnamanjusha.blogspot.com/2012/02/blog-post_09.html
 
ये लो जी..
इसमें कौन सी वड्डी बात हो गयी...खुशदीप जी दुसमन तो हैं नहीं हमरे ...लेकिन ई 'अभिन्न' का तमगा विशेषण काहे को...

यहाँ देखिये http://shabdkosh.raftaar.in/Hindi-Dictionary/Meaning.aspx?lang=Hi&Tshabd=%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A8

हमारे हिन्दी - अंग्रेजी शब्दकोश से हिन्दी शब्द अभिन्न (abhinn) के लिए अंग्रेजी अर्थ
1) 
one  (adjective) 
2) 
inseparable  (adjective) 
3) 
Identical  (adj) 
4) 
Integral  (n) 

हमारे हिन्दी - अंग्रेजी शब्दकोश से हिन्दी शब्द मित्र (mitr) के लिए अंग्रेजी अर्थ
1) 
comrade  (noun) 
2) 
ally  (noun) 
3) 
confederate  (noun) 
4) 
chum  (noun) 
5) 
pal  (noun) 
6) 
associate  (noun) 
7) 
lover  (noun) 
8) 
Kith  (n) 
9) 
friend  (noun) 
10) 
familiar  (noun)



खुशदीप जी मेरे मित्र हो सकते हैं क्योंकि familiar हूँ उनसे ...लेकिन 'अभिन्न मित्र' नहीं....और सिर्फ वही काहे, इस हिसाब से पूरा ब्लॉग जगत मेरा 'मित्र' है लेकिन कोई भी 'अभिन्न मित्र' नहीं....Inseparable, one, Identical और Integral तो जी हम सिर्फ अपने पति से हैं, जिनकी हम चिरसंगिनी हैं ...और सिर्फ उनको ही अधिकार है हमारा 'अभिन्न मित्र' होने का....लेकिन ई बात हर कोई थोड़े ही समझ सकता है...और फिर आपको का लेना देना है..कि हम किसके मित्र हैं और किसके नहीं....आपके कितने दोस्त हैं (अगर हैं तो :))  हम न जानते हैं न ही जानना चाहते हैं.....ये आपका, हम पर बहुत व्यक्तिगत कमेन्ट है.....आईंदा जब भी आप अपनी बात कहें....मुझे एक ब्लागर के नाम से संबोधित करें....किसी की भी 'अभिन्न मित्र-वित्र' कहने की जुर्रत न करें....मेरी अपनी दुनिया है ...उसमें कौन लोग हैं, इससे किसी का कोई लेना-देना नहीं....और आपका तो बिलकुल भी हक नहीं है...हाँ जितना मैं अपने बारे में ब्लॉग पर शेअर कर सकती हूँ किया है....और अपनी ख़ुशी से किया है...अपने बारे में..अपने बच्चों के बारे में अपने परिवार के बारे में....लेकिन हमने कभी भी किसी के बारे में जानने की कोशिश नहीं की...आपके बारे में तो बिलकुल नहीं की,  कि आप हैं क्या चीज़ !!!...इसलिए आप अपने दायरे में रहे उसका बेजा इस्तेमाल ना करें....

फिर परिवर्तन दुनिया का नियम है...दुनिया में क्या है जो फिक्स्ड है...हम आप फिक्स्ड नहीं हैं....धरती फिक्स्ड नहीं है...चाँद भी घूमता है..हाँ कहते हैं सूरज फिक्स्ड है...तो हम सूरज नहीं हूँ...

और फिर बदलने में तो हम उस्ताद हूँ...काहे नहीं बदलेंगे....हम तो बदलेंगे...आज से २० साल पहले हम जो थी अब नहीं हूँ....हम बदल गयी हूँ जी, पहले से बहुत बेहतर हो गयी हूँ....पहले हम चाय पीती थी, ..फिर काफी पसंद आने लगी...और अब बस लेमन टी पीती हूँ... बचपन में कोला  नहीं पी पाती थी...गले में अटकता था...अब गटागट पी लेती हूँ....तो बदलते परिवेश के साथ हमहूँ बदले हैं... दुनिया बदली है....और जो लोग बदलते नहीं, वो बिखर जाते हैं....हाँ नहीं तो...!

एक शेर लिखा था जी हमने अभी कुछ दिनों पहले...

असर मौसम के बदलने का कुछ ऐसा है हमपर
के हर मौसम में थोडा सा हम और बदल जाते हैं.....

आज फिर किलिअर कर देते हैं...ई मेरा ब्लॉग है...जो भी हमको ठीक लगा है,  और लगेगा हम वही लिखेंगे...वो सिर्फ और सिर्फ मेरे विचार और अनुभव हैं...एक ही परिस्थिति के अनुभव अलग-अलग व्यक्ति के अलग-अलग हो सकते हैं....अपने विचार व्यक्त करने की आज़ादी हम सबको है...न हम किसी पर अपने विचार लादते हैं ना कोई हम पर लादे...मेरे पति तक नहीं करते ई काम, तो आप किस खेत की मूली हैं. (मुहावरा है जी...स्कूल में पढ़े थे ) आपको मेरी रचनाएँ पसंद आये, तो पढ़िए नहीं पसंद आये मत पढ़िए...समाज को बदल डालो का झंडा लेकर हम नहीं आये थे यहाँ...हाँ ,उसमें  हम कुछ काम जरूर कर रहे हैं और उसकी शुरुआत हम अपने घर से ही किये हैं....क्योंकि मेरे पास मेरा घर है...फिलहाल तो हम अपने बच्चों को ही एक अच्छा नागरिक बनाने में जुटे हैं...और उसमें सफल भी हैं..

महिला होने का अर्थ नहीं है...कि महिला सही ही होती है...अब यहीं देखिये..रचना जी के हिसाब से मैं महिला होते हुए भी उनकी कसौटी पर खरी नहीं उतरती...उसी तरह एक महिला के गुण मुझे रचना जी में कम ही नज़र आते हैं...क्या कहें....पसंद अपनी-अपनी ख्याल अपना-अपना..

अभी हाल में...जैसा आपलोगों को विदित है...मेरा जीमेल अकाउंट हैक हो गया था...और अफवाह ये थी कि मैं स्पेन में अटक गयी हूँ...कुछ पैसों की ज़रुरत है मुझे....इसी सन्दर्भ में, मुझे एक ईमेल प्राप्त हुआ 'वंदना अवस्थी दुबे जी' का उस ईमेल में लिखा हुआ था...'अदा जी आप बिलकुल चिंता मत करें...बस इतना बताइए कि पैसे कहाँ भेजने हैं...वंदना जी ने जिस अपनत्व से ये बातें लिखीं...मैं भूल नहीं पाती हूँ...जबकि उनसे मेरी कभी बात नहीं हुई है...संवेदना एक मानवीय गुण है....कोई ज़रूरी नहीं कि आप अभिन्न मित्र हों तभी ऐसे भाव आपके मन में आयेंगे ....सच में, वंदना जी का दिल सोने का है....


इस ब्लॉग जगत में बहुत कम लोग हैं जो कह सकते हैं कि मैं फलाने विषय में ऑथोरिटी रखता हूँ. जैसे अजित वडनेकर जी बहुत गर्व से कह सकते हैं, कि वो शब्दों के उद्भव की वृहद् जानकारी रखते हैं....उनकी आभारी हूँ कि उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया...वर्ना हम जैसे ब्लोगर तो बस दरमियाने दर्जे के लिखनेवाले हैं...अपने सीमित शब्द  संसार को लेकर जो भी लिख पाते हैं, लिख रहे हैं और लोग उसे पढ़ रहे हैं...पढनेवाले सिर्फ सहमती-असहमति जता सकते  हैं...व्यक्तिगत आक्षेप नहीं कर सकते....किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि मुझे बताये, मैं क्या लिखूं और क्या न लिखूं....रचना जी, सबसे अच्छी बात तो जी ये होवेगी...आप मेरा ब्लॉग ही न पढ़ें....वड्डी शांति होवेगी जी...

एक बार फिर कहे देती हूँ, रचना जी....आज के बाद जब भी आप मेरे बारे में बात करें....तमीज से अपनी बात कहें...अगर बात करनी नहीं आती तो मेरे बारे में तो बिलकुल बात न करें...वर्ना ठीक नहीं होगा..आज तक हम (एकवचन) आपकी बहुत सारी बातें बर्दाश्त करते रहे हैं...और अब पानी सर के ऊपर से जा चुका है...

रही बात तारीफ की तो तारीफ की अपेक्षा रचना जी को है .... मुझे नहीं....न ही इसकी मुझे ज़रुरत है..

तारीफ  के खजाने से दूर रहने के लिए मैंने बहुत पहले ही अपना टिपण्णी बॉक्स बंद कर दिया है....'न उधो का लेना न माधो का देना'.... सच पूछिए तो अब मैं सचमुच स्वान्तः सुखाय के लिए लिखती हूँ ..जो भी करना है, मैं अपने छोटे से दायरे में रह कर कर लेती हूँ...किसी दिन इसकी भी चर्चा करुँगी...लेकिन सही समय आने पर...

बाकी रही सिलिअल की बात, तो हम सिरिअल देखते नहीं हैं...ज़रूर हमरी नक़ल मारी होगी ससुरों ने...काहे कि सिरिअल तो अब बनी है...और ई हमरी बचपन की आदत है...हाँ नहीं तो..!! कोई बात नहीं इत्ता वड्डा कलेजा है जी हमारा...माफ़ कर देते हैं उनको...वैसे किसी ने कहा था हमको , हमरी ये 'हाँ नहीं तो' एक दिन ग़दर करवा के छोड़ेगी...तो ये लो जी क़यामत का दिन आ ही गया....और हम बहुते खुस हूँ....हा हा हा ..

उम्मीद है यह पोस्ट इस धारावाहिक का आखरी एपिसोड होगा...वर्ना चल-चल रे नौजवान...रुकना तेरा काम नहीं चलना है तेरी शान...
हाँ नहीं तो..!!

p.s. इस पोस्ट में 'हम' का प्रयोग कुछ ज्यादा ही हो गया है....काहे कि हम बिहारिन कम झारखंडी हूँ न...इसलिए इस 'हम' को एकवचन समझें...